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मुकेश वर्मा की ये कहानियाँ जीवनानुभावों से सींच कर निकली हुई हैं। ऐसा लगता है मानो इन कहानियों के जरिये मुक्तिमार्ग की तलाश पूरी की गयी है। एक हद तक समाज की अलग-अलग विद्रूपताओं और बिडंबनाओं को अपनी कटहाओं के माध्यम से समझने का आईना है ये कहानियाँ।