ISBN: 9789352291632
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 176
मंटो जैसी स्वाभाविक कथा-प्रतिमा किसी भाषा के साहित्य में बार-बार पैदा नहीं होती। उनकी कहानियों ने अपने समय में जिन बहसों, विवादों और चुनौतियों को पैदा किया, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक और चुनौतीपूर्ण है। 1947 के दंगों ने उनके संवेदनशील मन पर बहुत गहरा असर डाला और उन्होंने ऐसी मार्मिक, मानवीय और तीखी कहानियाँ लिखीं, जो अविस्मरणीय है। सआदत हसन मंटो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। उनकी लिखी हुई उर्दू-हिन्दी की कहानियाँ आज एक दस्तावेज बन गयी हैं।