ISBN: 9789350001189
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 228
नज़ीर का कोई कलाम या उनकी कोई बानी ऐसी नहीं जिसमें कुछ ‘छल बल’ न हो। कोई ‘रंगीलापन’ न हो और एक किस्म की ‘ऐंड’ मौजूद न हो। नज़ीर ने इस तमाम लक्षणों और गुणों के मेल को चुटकुलेबाज़ी कहा है। चुटकुलेबाज हमारे समाज का वह व्यक्ति है जो बच्चों से लेकरा बूढ़ों तक, गरीबों से लेकर अमीरों तक हर उम्र और हर तबक़े की महफ़िल में अपनी जगह पैदा कर लेता है, जो कभी ‘ बारे खातिर’ नही, बल्कि हमेशा ‘यरे शातिर’ साबित होता है और जिसकी हस्ती तकल्लुफ और बनावट पाक होती है। नज़ीर अकबरबादी भी दुनिया के रंग में रंगे हुए एक महाकवि थे। उनकी कविताओं में रहती दुनिया हँसती-बोलती, जीती-जागती, चलती-फिरती और जीवन का त्योहार मनाती हुई नज़र आती है।