ISBN: 9789350009734
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 192
म्रू’ नाम पश्चिम बंगाल में, आदिवासियों के 38 वें वर्ग में, एक नाम है। अब भी म्रू मौजूद हैं या नही इस बारे में विशेषज्ञ लोग निरुत्तर हैं। इस कहानी का म्रू, कोई आदिवासी नहीं है। यहाँ म्रू का समानार्थक शब्द ‘आजकल विरल’ है। म्रू वर्ग के लोगो के जीवन कि एक ऐसी कहानी लेखिका ने सुनाई है जो पाठक के रौंगटे खड़े कर देगी।