ISBN: 9789350728796
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 84
दया प्रकाश सिन्हा का यह नाटक विघटनकारी तत्त्वों को चुनौती देने वाला एक नाटक है। लगभग तीन दशक के पूर्व के पुरखों की त्रासदी को नाटककार ने इस नाटक में सम्पूर्ण संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया है। कूकल मिलाकर नाटक का समग्र प्रभाव मन को मथ डालता है। इस नाटक को जीवंत बनाता है इसका अभिनेय तत्व। कसी हुई भाषा और पटकथा ने जहां कथानक को जीवंत किया है, वहीं सटीक संवदों ने नाटक की गति को बनाए रखा है। अतः यह नाटक हिन्दू-मुस्लिम एकता और भारत-पाक द्वंद के उलझे प्रश्ननो से टकराता आज का साहित्यिक नाटक है।