ISBN: 9789350723111
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 140
बहुचर्चित स्त्रीवड़ी लेखिका कुमकुम संगारी जी का मीरा और अन्य भक्त कवियों पर किया गया यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण शोध हमें भक्ति साहित्य की विद्रोही प्रकृति के कुछ अनछुए पहलुओं से परिचित करता है, जिसमें मीरा मध्यकाल के कठोर ब्राह्मण-राजपूत पुरुष-वर्चस्ववादी आध्यात्मिक बाज़ार में स्त्री मुक्ति की सफल विक्रेता बन कर उभरती है दरअसल वंश, जाती और सबसे अधिक जेंडर की पितृसत्तात्मक अवधारनाओं को सबसे सफल, कूटनीतिक आघात भक्ति धारा ने ही पहुंचाया है क्योंकि भक्ति की जमीन पर स्त्रीत्व एक ऐसा अहम रहित माध्यम बन कर सामने आया जिसे फली बार पुरुष बकतों ने भी स्वयं की खोज के एक रास्ते के रूप में आया। कुमकुम जी द्वारा इंगलिश में किए गए मूल सोध को हिन्दी के पाठक वर्ग तक ही पहुंचाना इस किताब का उद्देश्य है।