ISBN: 9788181436078
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 511
भारत में जीतने प्रकार की भारती(भाषाएँ) पाई जाती हैं किसी दूसरे देश में उतने प्रकार की नहीं। हिन्दी साहित्य का अतीत उसके वर्तमान की अपेक्षा अधिक समृद्ध है। जितनी देशी भाषाएँ विकसित हुई उनमे कुछ का आधुनिक या वर्तमान साहित्य पर्याप्त समृद्ध है। वर्तमान हिन्दी-साहित्य आधुनिक ऐश्वर्य का गर्व करे तो उसे कुछ देशी भाषाएँ टॉक सकती हैं। पर हिन्दी- साहित्य का अतीत जितना सम्पन्न है, उतना किसी देशी भाषा का प्राचीन साहित्य नहीं। हिन्दी- साहित्य के अतीत के आभोग में उसका आदिकाल और मध्यकाल आता है। आदिकाल की समस्त वास्तविक साहित्यिक सामग्री असंदिग्ध रूप में उस समय की नहीं है। विश्वनाथ जी यह पुस्तक ( दो खंड) में पाठक को हिन्दी-साहित्य के साथ-साथ भाषा और देश के अतीत की झलकियाँ भी देखने को मिलेंगी।