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"यह शायरी उँगली में चुभ जाने वाली सूई की नोक का दिल की तरफ़ सफ़र है। यह शायरी समझती है कि मुहब्बत कोई नुमायाँ निशान नहीं जिससे लाश की शिनाख़्त में आसानी हो। उस आदमी की शायरी है जो मिट्टी की कान का मज़दूर है। एक ऐसे शायर की नज़्में हैं जो अपने ज़ख्मी शहर को बहुत सारे फूलों से ढाँकना चाहता है। जो शेर सिर्फ़ इसलिए लिखता है कि वह समझता है कि ज़िन्दगी कभी न जान सकती कि हम उससे क्या चाहते हैं, अगर हम गीत न गाते।"