ISBN: 9789352291939
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 386
प्राख्यात कथाओं का पुन:सृजन उन कथाओं का संशोधन अथवा पुनर्लेखन नहीं होता; वह उनका युग-सापेक्ष अनुकूलन मात्र भी नहीं होता। पीपल के बीज से उत्पन्न प्रत्येक वृक्ष पीपल होते हुए भी, स्वयं में एक स्वतंत्र आस्तित्व होता है; वह न किसी का अनुसरण है, न किसी का नया संस्करण ! मौलिक उपन्यास का भी यही सत्य है। मानवता के शाश्वत प्रश्नों का साक्षात्कार लेखक अपने गली-मुहल्ले, नगर-देश, समाचारपत्रों तथा समाकालीन इतिहास में आबद्ध होकर भी करता है; और मानव सभ्यता तथा संस्कृति की संपूर्ण जातीय स्मृति के सम्मुख बैठकर भी। पौराणिक उपन्यास कार के ‘प्राचीन’ में घिरकर प्रगति के प्रति अंधे हो जाने की संभावना उतनी ही घातक है, जितनी समकालीन लेखक की समसामयिक पत्रकारिता में बंदी हो एक खंड-सत्य को पूर्ण सत्य मानने की मूढ़ता। सृजक साहित्यकार का सत्य अपने काल-खंड का अंग होते हुए भी, खंडों के अतिक्रमण का लक्ष्य लेकर चलता है नरेन्द्र कोहली का नया उपन्यास है ‘महासमर’। घटनाएँ तथा पात्र महाभारत से संबद्ध हैं; किंतु यह कृति एक उपन्यास है- आज के एक लेखन का मौलिक सृजन !