ISBN: 9789350729120
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
No. of Pages: 218
21 वीं सदी के नए साहित्यिक विमर्शों में स्त्री-विमर्श प्रमुखता से उभर कर आया है, जबकि कविता विधा में सियाक सहज संप्रेषणीय रूप बहुत प्रभावी ढंग से मुखरित हुआ है। अनामिका ने स्त्री जीवन के भीतर के भयावह सच को बहुत सहज ढंग से काव्यानुभूति में परिवर्तित कर एक नए रूप में, नए अर्थ में, आग्रह भरे तेवर के साथ प्रस्तुत करता है। अनामिका ‘कविता को कम शब्दों में अधिक कहने कि’ विधा मानती हैं। इस पुस्तक में समकालीन समय में स्त्री-विमर्श के संदर्भ में अनामिका कि कविताओं का आकलन करने का प्रयास किया गया है।